कई प्रकाशवर्षों से
चल रहा हूँ
काफ़िला साथ लिये
किसी और रौशनी में
मेरी मंज़िल
निहित होगी
कि राह चुकती नहीं
चाह थकती नहीं
ख़ानाबदोश है आह
वक़्त ज़रुरत
मेरा साथ देती नहीं
चल रहा हूँ
काफ़िला साथ लिये
किसी और रौशनी में
मेरी मंज़िल
निहित होगी
कि राह चुकती नहीं
चाह थकती नहीं
ख़ानाबदोश है आह
वक़्त ज़रुरत
मेरा साथ देती नहीं
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