बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

राही

कई प्रकाशवर्षों से 
चल रहा हूँ 
काफ़िला साथ लिये 
किसी और रौशनी में 
मेरी मंज़िल 
निहित होगी 
कि राह चुकती नहीं 
चाह थकती नहीं 
ख़ानाबदोश है आह 
वक़्त ज़रुरत 
मेरा साथ देती नहीं



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