याद नहीं आता मेरी
कौनसी कविता में
पहली बार प्रेम आया होगा
यह भी नहीं स्मृति में
कि प्रेम शब्द रूप में आया
या भाव रूप में?
संभव है यह भी कि
प्रत्येक कविता में
प्रेम लिखा हो
कभी रोष की तरह
कभी स्नेह की तरह
यह भी अनुकूल है कि
किसी ने पढ़ कर प्रेम
अनुभव किया होगा
किसी ने प्रेम
उपेक्षित किया होगा
सुदूर बलते दिये की
लौ सा है मेरा प्रेम
चाहो सुगन्धित हो लेना
चाहो अवहेलना कर लेना
सम्भाव्य यही अटल कि
अबोध प्रेम की आंच
तुम तक पहुंचेगी अवश्य।
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