-1- आहट
वह लड़का जो उस राह पर
रोज़ करता था प्रतीक्षा,
एक दिन बेचैनी ओढ़
आया तोप सा दनदनाता हुआ और
उड़ेल दिया अपना दिल लड़की को रोक कर।
प्रणय निवेदन से पहले
हज़ार बार लाखों बार
उसने टटोला खुद को,
धड़कते दिल को थम जाने की ताकीद की
गुस्साया खुद पर
झल्लाया मन ही मन इस स्वीकृति पर
रोकना चाहा प्रेम को खुद ही तक।
इस सारे गुस्से, झल्लाहट और संकीर्णता से परे
मन की उद्दात लहरों पर
उसने खोजी एक राह उम्मीद की,
दिन भर कवायद के बाद भी
नई ऊर्जा से दमकते हुये
प्रेम में थिरकने का जज़्बा जगाया उसने।
किये कई नाराज़ पल स्वाहा
बस एक प्रेम अनुभूति जीने की चाह में
वो मुस्काया हर उस उदास पल में
जब अचानक खवाबों की तस्वीर ने
किया जेहन पर कब्ज़ा
जब चूमा उसने अपनी प्रिया को
नशे में या होश में,
जब ऊँगली में फँसी सिगरेट की जलन से याद आया उसे कि
अभी आलिंगन का सुख पेंडिंग है।
हसरतें छलक जाने के पल में,
जब मचल मचल रोया उसका किशोर मन
और ख़यालों में लड़की को समर्पित प्रेम
पुनः पा लेने का हौसला
उसके कंधों पर तमगा बन झिलमिलाया,
तब आवेग में
किया उसने प्रेम निवेदन,
बिना यह जाने
कि लड़की ने हज़ार बरस पहले
उसके आने की आहट
बंद पलकों पर रखे
प्रेम के फाहों से सुन ली थी।
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