बुधवार, 31 जुलाई 2024

एक जग पानी



तीसरे फ्लोर पर रहने वाली आँटी  ने शादी नहीं की थी। कोई विशेष कारण रहा होगा जो वे किसी से इस विषय पर चर्चा तक करना पसंद नहीं करतीं थीं। 

मैं हर सप्ताह में एक दिन उनसे मिलने चली जाती थी। बुधवार को मेरी क्लास जल्दी ख़त्म हुआ करती थी इसलिए हर बुधवार को मैं अपना टिफ़िन लेकर उनके साथ लंच करती थी। 
उनके लिए भी अकेलेपन की ऊब से बचने के लिए, सप्ताह में एक दिन ही सही, मेरा साथ सुखद हुआ करता था। हम दोनों मिलकर खाना खाते और ढेर सारी बातें करते। फिर शाम को मैं अपने घर चली जाती, जो कि चौथे फ्लोर पर था। 
इधर कुछ दिनों से आँटी मार्था अपनी टाँग टूटने से बेहद परेशान थीं। टाँग पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया था। एक नर्स रोज़ सुबह आती थी, उन्हें नहलाने और मरहम पट्टी करने के लिए। बाद में एक हेल्पर आती घर में साफ़ सफ़ाई करने और खाना बनाने के लिए। यह तो रोज़ का काम निपट ही जाता लेकिन उनका घर से बाहर निकलना बिलकुल बंद हो गया था, जिससे उन्हें लगता था कि दुनिया के दरवाज़े ही बंद हो गए हैं। उस पर नीचे सड़क पर होने वाले शोर से उनको बड़ी चिढ़ मचने लगी थी। तन का दर्द मन की पीड़ा में परिलक्षित होने लगा था। 

एक बुधवार को जब मैं उनके पास बैठी थी तो बिल्डिंग के नीचे सड़क की बैंच पर बैठे किसी प्रेमी युगल की हँसी खिलखिलाहट सुनकर अचानक उन्हें ग़ुस्सा आ गया। उन्होंने अपनी हेल्पर अनिता को कहा कि जल्दी से एक जग भरकर पानी ले आए। मैं हैरान थी कि वे इतने सारे पानी का क्या करेंगी? जैसे ही अनिता पानी ले आई, आँटी ने मुझसे कहा, ये बेख़ौफ़ हँसी सुन रही हो न? देखो, कैसे निर्लज्ज हो गए हैं आजकल के युवा! इतना भी ख़्याल नहीं आता इन्हें कि कोई बूढ़ा बीमार इंसान ऐसी निर्लज्ज हरकतों पर कितना शर्मिंदा हो रहा होगा! तुम उस खिड़की से इन बेशर्मों पर यह पानी फेंक दो तो वे हटें यहाँ से! 
मैं उनकी ऐसी निष्ठुर बातें सुनकर सन्न रह गई। फिर खिड़की से झांका तो पाया कि बड़े प्यारे से दो लोग प्रेम में सुधबुध खोए एक दूसरे से बातें कर रहे थे। 
आँटी की फिर से आवाज़ आई, तुमने भी देखा न उन्हें? लो यह पानी, फेंक दो उनके ऊपर। 
मैंने कहा, नहीं आँटी,  इतनी कठोरता? यह तो बिलकुल ठीक बात नहीं! तोता मैना की जोड़ी बैठी बातें कर रही है, मैं उन्हें नहीं सता सकती। पानी फेंक कर तो कदापि नहीं। आप चाहें तो मैं नीचे जाकर उनसे बात कर सकती हूँ कि वे कहीं अन्यत्र जाकर बैठें ताकि आपको परेशानी न हो। 

मेरी बात सुन आँटी मुझसे भी नाराज़ हो गई। कुछ बड़बड़ाते हुए एकाएक वे रोने लगीं। “मैं चल पाती तो अब तक तो अवश्य उन्हें वहाँ से भगा देती। मुझे पता है, तुम मेरी सुनोगी ही नहीं! फिर उनका स्वर शांत होता गया- हाँ, यदि उस दिन तुम्हारी तरह अच्छे दिल वाली कोई लड़की वहाँ होती तो मेरी भी जोड़ी कभी नहीं टूटी होती! मैं और अन्तोनियो आज साथ जीवन जी रहे होते! मगर उस दिन  किसी ने हम पर पानी फेंका और गलती से जग भी आ गिरा, अन्तोनियो कोमा में चला गया, फिर कुछ वर्षों बाद डॉक्टर ने उम्मीद छोड़ दी, उसे जीवन से मुक्त कर दिया, रह गई मैं अंतहीन अकेलेपन के साथ! लेकिन आज तुमने मुझे वही पाप करने से बचा लिया बेटी!” अब वे अपने होश में आने लगी थीं। उनके कष्टकारी अतीत से परिचय होना भी कम पीड़ादायक न था। उन्हें एक आलिंगन देते हुए मैं सोच रही थी कि कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता था कि दो प्यार करने वालों को सहन नहीं कर पाए! 
-पूजा अनिल 
 #थोड़ासाप्यार 

1 टिप्पणी:

  1. मन को गहराई तक छू गई कहानी... किसी की बेरहमी की सजा उन्हें जीवनभर का दुःख दे गई! कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है!!!

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