मंगलवार, 26 मई 2020

वापसी

चेहरे की झुर्रियाँ बता रहीं थीं 
कि आत्मा पर 
अनावश्यक अनिचछाओं का बोझ है । 
अपने सुंदर सलोने रूप के 
तुलनात्मक अनुपात में सोचूँ 
तो आत्मा अनन्त गुना सुंदर होनी चाहिये । 
मैं समझती हूँ कि 
अनिचछाओं ने किया त्वचा को  झुररीदार 
और ह्रदय को अपवित्र। 
मुझे माफ़ करना ईश्वर! 
मैं उतनी पवित्र और स्वच्छ-सुंदर आत्मा 
तुम्हें नहीं लौटा पाऊँगी 
जैसी तुमने उस अबोध कन्या को 
धरती पर भेजते हुए भेंट की थी। 
-पूजानिल 

7 टिप्‍पणियां:

  1. अबोध कन्या और जानकर स्त्री सभी निर्मल हैं और जो नहीं हैं उनके पीछे परिस्थितियां ज़िम्मेदार हैं। उम्दा रचना।

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