सोमवार, 6 जुलाई 2009

स्वार्थ..... अच्छा या बुरा???

कल हमारे एक मित्र से बातों बातों में बात निकल पड़ी कि स्वार्थ अच्छा होता है या बुरा? उनका कहना है कि स्वार्थ दो तरह का हो सकता है, अच्छा, जो कि जनहित में स्वार्थ हो, अथवा बुरा, जिसमें कोई लालच छिपा हो।

अब हमारा यह कहना है कि स्वार्थ सिर्फ स्वार्थ ही होता है, जिसका अर्थ ही - स्व अर्थ - अर्थात स्वयं के लिए - हो , तो उसके लिए बुरा अर्थ ही प्रस्तुत होता है। हाँ, दूसरों के लिए कुछ करने की भावना को अच्छी इच्छा में जरूर शामिल किया जा सकता है, किन्तु अच्छा स्वार्थ............ संभव नहीं लगता हमें ।

अब आप सभी सुधीजनों से इस पर विचार आमंत्रित हैं कि आप क्या सोचते हैं? क्या स्वार्थ अच्छा अथवा बुरा हो सकता है? स्वार्थ और इच्छाओं के दरमियान एक निश्चित दूरी होती है, क्या इन दोनों को एक साथ लेकर अच्छा स्वार्थ निर्मित होता है?
क्या स्वार्थ को दो भागों में बांटा जा सकता है....अच्छा और बुरा???

7 टिप्‍पणियां:

  1. चाहे अच्छा हो या बुरा हो..
    पर स्वार्थ होता सिर्फ और सिर्फ अपने खुद के भले के लिए है,,
    इस शब्द का जनहित से कोई दूर दूर तक वास्ता नहीं है जी मेरे हिसाब से तो...

    बस ज्यादा से ज्यादा इस बात तक सहमत हो सकते हैं के यदि किसी काम से दुनिया का भला होते देख कर हमें जो खुशी या आनद प्राप्त होता है उसे शायद जबरदस्ती खींच तान कर ''स्वार्थ'' की श्रेणी में लाया जा सके तो,,,,,इसे अच्छा माना जा सकता है,,,
    अक्सर होता नहीं है ऐसा,,,,

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  2. sach puchhe to mahashya kisi bhi tarah ka swaarth badhiya nahi hota.............but good selfiness is more better than bad silfiness.

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  3. aaj ke daur ko dekhate huye ham swarth ko bura
    nahi kah sakate hai..
    patantu yah apne ek seema ke andar tak hi thik hota hai..jahan tak kisi ka koi nuksaan na ho
    agar apane swarth purti ke liye kisi ka nuksaan ho raha ho to yah thik nahi..

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  4. स्वार्थवश किया गया ऐसा कार्य जिससे अन्य किसी का अहित न हो, उसमें कैसी बुराई. स्वार्थवश आप खाना खाते हैं, स्वार्थवश आप सामने से आती गाड़ी देखकर हट जाते हैं, स्वार्थवश आप बारिश में छतरी लगाते हैं...इन सब में कैसे बुराई. बस, अपनी समझ से बाताया..और कुछ नहीं.

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  5. swarth me bura kya hai ?

    kuchh nahin !

    swarthi hona bura hai ?

    bilkul nahin !

    ____________SWARTH PARMARTH KI PAHLI SIDHI HAI.....SWARTHI HUE BINA PARMAARTHI HONE KA SWAL HI PAIDA NAHIN HOTA.........

    har swarth me parmaarth aur har parmaarth me swarth chhupa hai .....bas...drishti aapki aisee honi chaahiye jo anubhav kar sake

    haan, keval swaarthi hona aur apne swarth k liye doosron ka shoshan karna bura hai..ghor bura hai....kintu bina kisi ko nuksaan pahunchaaye apne swarth siddh karna..vyakti ka sarvotkrisht gun hai ...

    DUNIYA K SAARE BADE KAAM SIRF SWAARTHI LOGON NE HI KIYE HAIN....YAH YAAD RAKHNA CHAHIYE

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  6. सभी साथियों का बहुत बहुत आभार.
    आप सभी के विचार हमने अपने मित्र तक पहुंचा दिए हैं. वो भी एक दार्शनिक विचारक दृष्टि से दुनिया को देखते हैं.
    albelakhatri जी के विचार से हम खासे प्रभावित हुए. बस इसे अनुभव कर पाना ही मुश्किल है :)

    ( har swarth me parmaarth aur har parmaarth me swarth chhupa hai .....bas...drishti aapki aisee honi chaahiye jo anubhav kar sake )

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