कभी कभी अतीत में झांकना, सुखद स्मृतियों का खुशगवार झोंका साबित होता है. और उस पर यदि कोई मीठी सी कविता हो और उसमें अपने ही दोस्तों का जिक्र हो तो सोने पर सुहागा.
ऐसे ही अपनी पुरानी डायरी के पन्ने पलटते हुए एक कविता ने आवाज़ दी, हम भी उसकी आवाज़ अनसुनी नहीं कर पाए और चल दिये उसकी ओर, लिया हाथ में और लगे गुनगुनाने और बस यूँ ही गुनगुनाते हुए आप सब के साथ बांटने का मन किया तो ले आये उसे "एक बूँद" पर . आप सब भी आमंत्रित हैं इस तनाव रहित, गुनगुनी कविता को हमारे साथ साथ गुनगुनाने के लिये .
लेकिन इस से पहले आइये इसके सृजन का कारण जान लेते हैं :). एक गर्मी की दोपहर में जब धूप अपने पूरे निखार पर थी, हमारे ऑफिस के कुछ साथी लंच टाइम में हमारे टेबल पर आ जुटे और लगे बतियाने,(आप सब के साथ भी ऐसी घडियां कभी न कभी जरूर आती होंगी :)). तब सबकी बातें और उस कवितामय माहौल से हमने कुछ शब्द उठा लिये और थोडा सजा संवार कर एक कविता का रूप दे डाला. बहुत समय तक यह कविता हमारी डायरी में कैद रही, आज आजाद होकर आप सबके सामने प्रस्तुत है. भई, हमने तो बहुत बातें कर ली, अब आइये देखते हैं, यह कविता क्या कहती है..............???
सूरज सिर पर चमक रहा,
तू यहाँ वहाँ क्यूँ भटक रहा?
घडी में बज गए पूरे दो,
अब तो उसको जाने दो.
कल फिर वापस आना है,
सारा काम संभालना है.
कामों का है ढेर बड़ा ,
देखे क्या तू खडा खडा?
आकर शब्द को जोड़ दे,
या फिर पंक्ति तोड़ दे.
पंक्ति ख़त्म न हुई अभी,
टेड़े मेढे दांत सभी.
दांत में फंसी मछली,
निगली जाए ना उगली.
उगला चुगलखोर ने,
टेर लगाई मोर ने.
मोर ने देखे बादल,
नाच उठा वो पागल.
पागल ने घूँघरू बांधे,
ताली बजाये राधे.
राधे खाता है दही,
खाना अकेले नहीं सही.
दो चार को ले लो साथ,
सभी बटायेंगे फिर हाथ.
हाथ से हाथ जो मिल जाता,
सारा काम सुलझ जाता.
हाथ से हाथ जो मिल जाता,
जवाब देंहटाएंसारा काम सुलझ जाता.
अच्छी पंक्तियाँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
क्या पूजा जी,
जवाब देंहटाएंकौन कहेगा के ये कविता लंच-टाइम की है...
इसमें तो मुझे बस खाने के लिए दही ही मिली....
:)
वाह मजेदार !!
जवाब देंहटाएंमजा आ गया
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
waah bahut khub
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंhmmm achi kavita hai dear.. meraa to mann poora ek katori dahni ka peena ka kar raha haiii:):)
जवाब देंहटाएंवाकई, लंच टाइम की इस कविता ने मन प्रसन्न किया.
जवाब देंहटाएं- हमारा सारा जीवन यादों का इंद्रजाल हैं