घनघोर अंधेरे में
खो सी गयी थी कहीं ,
बैचेन आँखे
थक कर
सो ही गयीं थी यहीं .
राह सूझती ना थी कोई ,
सफर का साथी नहीं कोई .
अकेले कहाँ तक ले जाती
ये हमदर्द राहें !!!
तभी नज़र आई
इक
किरण उजाले की ,
उसे थाम लेने की देर थी बस....
पर,
इंतज़ार ,
किसी और को
था मेरा ,
मेरे गुजर जाने की देर थी बस ....
छंट गया सारा
अँधेरा !!!
एक बारगी पढ़ते ही लगा के........
जवाब देंहटाएंकुछ कह नहीं पाऊंगा शायद.......
और अब भी क्या कहा...
,,,,
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार/ मगल भावनाऐ
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंatii sundar.......... achai vichaar hain..... par itna andheraa..... ye achi baat nahi hai...........:):)
जवाब देंहटाएंमेरे गुजर जाने की देर थी बस ....
जवाब देंहटाएंछंट गया सारा.........
jeene ki baat kiyaa kijiye poojaa ji...