अनुभव -
कुछ दिन पहले मैं डॉक्टर के केबिन के बाहर अपने बुलाये जाने की प्रतीक्षा कर रही थी। मुझसे पहले ही एक बुजुर्ग महिला भी प्रतीक्षा कर रही थी। यूँ ही सामान्य सी बातें चल निकलीं उस से। वह उस डॉक्टर की तारीफ कर रही थी कि हर तरह की एलर्जी का इलाज करने के लिए यह बहुत ही अच्छी डॉक्टर है। वह पहले कई बार आ चुकी थी, मैं पहली बार गई थी उसके पास। मुझे मौसमी ऐलर्जी लग रही थी, जो कि मौसम के साथ ही अपने आप ठीक भी हो गई।
बातों बातों में उसने बताया कि वह 80 साल की है। सुनकर मुझे हैरानी हुई, क्योंकि वह अधिकतम पैंसठ- छासठ साल की स्वस्थ, सक्षम और सजग महिला लग रही थी। मैंने कहा आप अस्सी साल के नहीं लगते हो, किस तरह इतना सुडौल और खूबसूरत बनाये रखा है खुद को? उसने कहा मैं खूब ध्यान रखती हूँ अपना। खूब पानी पीती हूँ और रोज़ ताजा बना खाना खाती हूँ। प्रतिदिन पैदल करने जाती हूँ और घर के अधिकतर काम भी अपने हाथों से करती हूँ। आगे उसने कहा आजकल लोग बहुत जल्दी अपनी त्वचा ख़राब कर बैठते हैं और उनके पास समय भी नहीं अपना ध्यान रखने का।
मैं उनकी बात से सहमत थी।
प्रेरणादायक बात यह कि एक अस्सी वर्ष की महिला, खुश और तारो ताजा दिखती बुजुर्ग स्त्री स्वयं ही निपट अकेली हॉस्पिटल आई थी, वो भी लोकल बस में। किसी तरह की कोई शिकायत नहीं कि पति साथ नहीं आया और ना ही बच्चों से कोई उम्मीद कि वे उसके साथ आएंगे। जबकि घर में सभी हैं, इसका ज़िक्र किया उन्होंने।
उस से बात करके मुझे महसूस हुआ जवान बने रहने का एक राज़ यह भी है कि स्वयं को सक्षम बनाया जाए और जहां तक संभव हो किसी और के भरोसे न रहा जाए। किसी का मोहताज होना अर्थात स्वयं को कमजोर करना। जबकि स्वयं पहल करके अपने काम करना अर्थात स्वयं को मजबूत बनाना, अपने आप को शक्ति प्रदान करना। फिर चाहे कोई भी उम्र हो आप सदैव स्वावलम्बी रहेंगे, खुश प्रसन्न रहेंगे।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-05-2022) को चर्चा मंच "पहली बारिश हुई धरा पर, मौसम कितना हुआ सुहाना" (चर्चा अंक-4441) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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वाह ! जिंदगी को अंत तक जीने का एक नायाब सूत्र
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अनुभव रहा। सही कहा आपने स्वालम्बी होना बहुत जरूरी है।
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