वहाँ ऑडिटोरियम में नीली वेशभूषा में आई गरिमामयी गायिका के स्वर उठने आरम्भ हुए, हल्की रूनझुन सी एक धीमी कविता की तरह उठते उठते हौले से मध्यम सुर का संगीत शुरू हो जाता है। ध्यान लगा कर सुन रहे श्रोता इस सुर तक आते आते इन चंद पलों में सम्पूर्ण समर्पण कर कल्पना लोक में प्रवेश चुके हैं। फिर तत्क्षण एक विशाल सैलाब, सुरों का, हमारे इर्द-गिर्द बिखर चुका है। आँखों के आगे…गाना चल रहा है, पीछे…मन में संगीत का मेला चलने लगा है, श्रवण इंद्रियों ने सुर का धागा थाम लिया है और पैर थिरकना चाहते हैं, बाँहें स्वर लहरी पर मचलना चाहती हैं, और आत्मा नृत्य करने को पूरी तरह तत्पर है। यह किसने जादू रच दिया है? किसकी वाणी से आत्मिक बंधन स्वतंत्र होकर अनंत को अनुभव करने लगे हैं? 500 लोगों का समूह एकरस हो किसके सुरों के आगे समर्पण कर चुका है?
जी हाँ, मैं जिसकी बात कर रही हूँ, वे अद्भुत गायिका हैं पद्मश्री मालिनी अवस्थी, जो आवाज़ रूप में पूरे ऑडिटोरियम में गूंज रही हैं। कोई उस मुग्ध-कारिणी, सम्मोहिनी को जाकर बताए कि धीमे संगीत में या तेज में, उसे सुनने वाले तत्काल ह्रदय और संगीत के मध्य मधुर तारतम्य बिठा लेते हैं। कल्पना की उस सुखद अनुभूति को जीने लगते हैं जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है।
संगीत संध्या में मंत्रमुग्ध श्रोता उस जादू को समझने से परे , बस, उस उठती गिरती स्वर लहरी पर आनंदित हो ताली बजा रहे हैं, अपनी जगह पर बैठे बैठे पाँव हिला कर नृत्यरत होने का मौन ऐलान कर रहे हैं। क्या बड़े, क्या छोटे… कोई उस भाव भरे सम्मोहन से बच नहीं पाया है।
अवध में राम जन्म के सोहर लोकगीत से आरम्भ हो कर सीता जन्म पर जा पहुँचती है मालिनी के लोक संगीत की लहर। प्रेम की पराकाष्ठा खुसरो को गाती है शिव को मसान में होली खेलते दिखाने का सजीव दृश्य रचती है, फिर तुरंत ही राग भैरवी का वितान तान देती है। दिल मेरा मुफ़्त का…गाते गाते हिंदी फ़िल्म संगीत के बेहद प्रसिद्ध राग भैरवी पर आधारित गीतों का चलता फिरता कारवाँ हमारे सामने से गुज़ारतीं हैं। सैंया मेरे लड़खैंया में कमसिन दूल्हन का दुख कहती है। ग़ज़ल की शानदार रवानी प्रस्तुत करती है।
होरी खेले रघुवीरा अवध मा होरी खेले रघुवीरा की तान पर श्रोताओं को गाने को उकसातीं हैं। यह कैसा अकल्पनीय जादू है कि कोई उस से मुक्त होना ही न चाहता था!
दो घंटे बिना रुके स्वर सागर में तैराने के पश्चात् भी किसी को विराम नहीं चाहिए था। लगता था कि यह मधुर स्वर की रिमझिम ध्वनि कभी न रूके! बस ऐसे ही यह मधुर बरसात चलती रहें और हम इसके सदा सर्वदा साक्षी रहें। इसीलिए जब वे बाहर आईं तो भीड़ ने उस सहज सौम्य मुस्कान धारी अद्भुत मालिनी को घेर लिया, उनके साथ तस्वीरें लीं, बातें कीं, मानो उनके साथ के ये कुछ पल अनमोल निधि की तरह सुरक्षित कर अपने पास रख लें। कल्पना लोक से बाहर निकलने का रास्ता खोजना किसी असंभव कोशिश का सबसे प्यारा क्षण होता है।
- पूजा अनिल
(9 जून 2023 को स्पेन के मद्रिद शहर में भारतीय राजदूतावास एवं ICCR द्वारा पद्मश्री मालिनी अवस्थी का लाइव संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया। सौभाग्य से मैं भी इस कार्यक्रम को देख पाई। उस भव्य कार्यक्रम के बारे में लिखे बिना न रहा गया। मुझे हैरानी हुई कि पूरे दो घंटे के कार्यक्रम के दौरान मालिनी अवस्थी लगातार एक के बाद एक गीत सुनातीं रही और इस दौरान उन्होंने एक बार भी जल नहीं ग्रहण किया। कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें भी पोस्ट के साथ लगा रही हूँ। )
वाह! मालिनी अवस्थी जी के सुमधुर गायन को तुमने सटीक विश्लेषण से सजाया है। बहुत सुंदर विवरण और प्यारे प्यारे चित्र... विदेश में अपनी भारतीय संस्कृति को संजोकर रखा है तुमने... बहुत बहुत साधुवाद और शुभकामनाएं पूजा...
जवाब देंहटाएंपूजा जी आपने मेड्रिड में मालिनी अवस्थी जी का कार्यक्रम अपने खूबसूरत शब्दों में प्रस्तुत किया है ।पद्मश्री मालिनी अवस्थी भारत की सांस्कृतिक विरासत की एक धरोहर के रूप में बनकर उभरी हैं ।उन्होंने भारतीय लोक संगीत को एक उच्चतम पायदान पर पहुंचा दिया है। लोक संस्कृति में लोक गीतों में माटी की सोंधी खुशबू होती है और यह जनमानस के मन को आनंद से विभोर कर देती है। जैसे वर्षा की प्रथम बूंद पङते ही माटी की सौंधी महक अपनी मातृभूमि की याद दिलाती होगी वैसे ही मालिनी अवस्थी की गायकी भी आपको अपनी मातृभूमि की ओर ले जाती होगी ।बहुत शानदार अनुभव आपने किया होगा मालिनी जी के साथ ।बहुत-बहुत शुभकामनाएं बधाई एक सुंदर लेख प्रस्तुत करने के लिए।
जवाब देंहटाएंऋतु प्रिया खरे
अध्यक्ष
त्रिवेणी अंतरराष्ट्रीय संस्था
भारत
काश कि हम भी होते। आपकी लेखनी द्वारा ही महसूस कर पा रहे हैं अच्छा लग रहा है। यदि कोई छोटी-मोटी वीडियो क्लिप उपलब्ध हो तो भेज दीजिएगा सुंदर चित्र तो देख ही लिए हैं।
जवाब देंहटाएं😊😊
Very nice 👍🙏
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! भावविभोर होकर लिखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहहहह
जवाब देंहटाएंवाह!आपकी लेखनी नें इस अद्भुत दृश्य का सृजन किया मानों आदरणीय मालिनी हमारे समक्ष ही सुरों की सरिता बहा रही हों ...।
जवाब देंहटाएंक्या लेखनी है,सजीव चित्रण कर दिया आपने
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