आज फिर से माँ का दिन है। लेकिन क्या कोई दिन ऐसा है जो माँ का दिन न हो? हर दिन बस माँ और माँ और माँ!! पीड़ा के हर इक पल में माँ अमृत की धारा!
मैं स्पेन आ गई तो बहुत शुरू मे माँ चिट्ठी के रूप में मुझसे मिलने आती थी। यह उनके संपर्क में रहने का ऐसा माध्यम था कि जब मन होता उनके लिखे को हाथ से छू लिया और माँ का प्यार पा लिया! आज भी वही कर रही हूँ! माँ का आशीर्वाद और प्यार यहाँ से मिलता है! साझा कर रही हूँ उनकी चिट्ठी जिसके प्रत्येक शब्द में ममता कूट कूट कर भरी हुई है । कोई इस स्नेह से अछूता रह ही नहीं सकता
कितना कुछ मन कहना सुनना चाहता है मगर राहें खो गईं हैं। मम्मा आपको मेरा प्यार पहुँचे। 🙏🙏
आंखें भर आईं
जवाब देंहटाएंयही हाल मेरा था, इसलिए आगे लिख ही नहीं पाई।
हटाएंप्यारी ममा💖ढेर सारा प्यार 💞
जवाब देंहटाएंतुम्हें भी बहुत प्यार 😘
हटाएंAanke bhar aayi bhabhi
जवाब देंहटाएंDer Sara pyar bhabhi ma
नम आँखों का प्रेम मम्मा तक पहुँच रहा है।
हटाएंआह, ये निशानियाँ कहती रहेंगी वात्सल्य मयी कहानियाँ।
जवाब देंहटाएंहाँ जी दी, अब ये निशानियाँ ही साथ देती हैं।
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