बुधवार, 15 मार्च 2023

वो कौन थे

 शहर में लंबी सड़क थी, 

रौनक़ से भरपूर 

सड़क पर कदमों के निशान थे 

या कौन जाने 

निशाने पर बिछी सड़क थी? 

किसी रोज़ एक चित्रकार ने वहाँ 

रंगों से आग का चित्र बनाया था! 

अगले दिन सड़क पर 

अकस्मात् शोले गिरे थे ! 

कितनों का दिल जला था वहाँ, 

कितनों के निशान मिटे थे,  

आग बुझाने में कितनों के 

आँसू असफल रहे थे! 

सारी रौनक़ बुझ गई, 

चलते कदम ठहर गए, 

ज़िंदा लोग फ़ना हो गए,

सारे रंग धुँआ हो गए, 

कलाकार को पूरी दुनिया में 

जासूस तलाशने लग गए ! 

कला दिखा दिल ख़ुश करने वाले 

सरे राह बदनाम हो गए! 

-पूजा अनिल

मनप्रिया

जब सोच लो पूरी तरह 

दुनिया को इस छोर से उस छोर तक, 

तब भीतर के सारे झंझावात 

लहराते समुन्दर बन जाएँगे, 

आँखों से बरसेंगे बचे खुचे बादल 

और अचानक ही साफ़ हो जाएगा, 

सब तरफ़, सब कुछ, 

सोनार धूप खिलने लगेगी,

उस पल में ये सुनहरी भोर सी लड़की 

मन में रहस्यमय मुस्कुरा देगी,

कहेगी, ओ! मन के ओटे पर झूमती,

घूंघर श्यामा बनसखी! 

सौम्य अधखुले नेत्रों वाली,

आत्मविस्तृत कंठमणि!

मैं जन्मों से पहचानती हूँ जिसे

हाँ, वही तो हो तुम छन छन ध्वनि ! 

-पूजा अनिल