शहर में लंबी सड़क थी,
रौनक़ से भरपूर
सड़क पर कदमों के निशान थे
या कौन जाने
निशाने पर बिछी सड़क थी?
किसी रोज़ एक चित्रकार ने वहाँ
रंगों से आग का चित्र बनाया था!
अगले दिन सड़क पर
अकस्मात् शोले गिरे थे !
कितनों का दिल जला था वहाँ,
कितनों के निशान मिटे थे,
आग बुझाने में कितनों के
आँसू असफल रहे थे!
सारी रौनक़ बुझ गई,
चलते कदम ठहर गए,
ज़िंदा लोग फ़ना हो गए,
सारे रंग धुँआ हो गए,
कलाकार को पूरी दुनिया में
जासूस तलाशने लग गए !
कला दिखा दिल ख़ुश करने वाले
सरे राह बदनाम हो गए!
-पूजा अनिल