सोमवार, 31 मई 2010

उन्हें हमारी जरूरत है



पिछले साल 22 मई को जब इस ब्लॉग की नींव रखी थी, तब यह पता नहीं था कि एक वर्ष बाद उन्ही बुजुर्गों के लिये काम कर रही होउंगी, जिनकी प्रेरणा से ब्लॉग बनाने का विचार पुख्ता हुआ था. पहली पोस्ट उन्हें ही समर्पित थी और आगे भी उन पर लिखती रहूंगी.

इस ब्लॉग की पहली पोस्ट में अपील की थी कि हम बुजुर्गों को पुनः शिक्षित करने के लिये कदम उठायें. उसे दोहराने के साथ आप सब से एक निवेदन करना चाहूंगी कि बुजुर्गों को सम्मान दें, उन्हें भी उतने ही प्यार की आवश्यकता है जितना कि किसे नन्हे शिशु को , किसी बढ़ते बच्चे को, किसी जवान को अथवा किसी प्रौढ़ व्यक्ति को.

पिछले कुछ महीने हुये, रेड क्रोस को पास से जानने का अवसर मिला, उन्ही के द्वारा चलाये जा रहे, एक बुजुर्गों के लिये समर्पित प्रोग्राम में सम्मिलित हुई, बुजुर्गों के एकाकीपन को भी जाना और सर्वस्व अर्पित कर उन्होंने जिन बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया था, उन्ही की जुदाई में बहते आंसुओं का दरिया भी देखा. और उस से भी बड़ी बात यह देखी कि उनके बच्चे उन्हें छोड़ कर चले गये, बुजुर्ग फिर भी अपने बच्चों को दोषी नहीं कहते . यह ममता का एक स्वरुप हो सकता है पर मेरी नज़र में यह करुणा हम सभी को बुजुर्गों के प्रति अपनानी चाहिए. उन्हें हमारी जरूरत है.

9 टिप्‍पणियां:

  1. आखिर हमें भी तो एक दिन उसी जगह खड़े होना है।

    ब्लॉग के एक वर्ष होने की बधाई
    शुभकामनाएँ

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  2. badhayi...baat sahi kahi...aur chitra to bhramit karne wala lagaya....ab ye do vriddha hain ya beech me ek glass...

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  3. pooja aapke khayal bahut hi achhe hai ...bujurgo ka samman aur dekhrekh har insan ki jimmedari hai..aaj pahli baar aapke blog par aaya achha laga.

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  4. पूजा तुम्हारे ब्लॉग पर आई हूँ और तुम्हारे प्रयासों से अभिभूत हूँ
    हम इसे ऐसे क्योँ नहीं लिखते कि "हमे उनकी जरूरत है " अभी कुछ दिन पहले कहीं पढ़ा था कि हम ये न कहें कि माँ हमारे साथ रहती है ,वरन कहे कि हम माँ के साथ रहते हैं सोच को बदलने कि
    जरूरत है बस .........................अच्छा लिखा है .

    BUT ................. WE NEED THEM

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  5. पुनः शिक्षित करने कि दिशा में तो हम कोई कदम नहीं उठा पाते...
    हाँ,
    प्यार बांटने में किसी टेलेंट की जरूरत नहीं होती....बस..इतना ही कर पाते हैं..
    नीलम जी की बात से सहमत....
    माँ-बाप हमारे साथ रहते हैं का क्या मतलब....?

    अपने पैरों पर खडा होने से पहले तो हम नहीं कहते थे न कि माँ बाप हमारे साथ रहते हैं...

    उन साहब को हमारी तरफ से भी नमस्कार कहिएगा...जिनकी प्रेरणा से आपने ब्लॉग बनाया
    आप ऐसे ही अपना काम करती रहे....

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  6. विचार जन कर खुशी हुई....कुछ लोग हैं जो बुजुर्गों की भावनाओं को समझते हैं

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  7. हम सभी को बुजुर्गों के प्रति अपनानी चाहिए. उन्हें हमारी जरूरत है. ..

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