सोमवार, 25 जनवरी 2010

नमक रोटी

"जसुमति नंदन रोटी खावे,
भीम रे जैसो बड्को होवे"
"क्या माँ...तू रोज़ एक ही बात कहे है.." मुझे नी खानी सूखी रोटी- अचार...... तीखा लगे है अचार, तू दही क्यूँ ना लाती? "
"कल ला दूंगी मेरे लाल ... आज खा ले रे, अब अपनी माँ को और ना सता, चल खा ले."

"जसुमति!!! ओ जसुमति!!!"
"सुण.... कल गणतंत्र दिवस के जुलुस में तेरे लाल को ले जाना है,शहर जाना है री , सुबह जल्दी उठ जाना."
"बापू.... मैं भी शहर चलूँगा?"
"हाँ...बेटा"

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दूसरे दिन शहर में गणतंत्र दिवस के जुलुस और नेताजी के भाषण के बाद सबको लड्डू और समोसा दिया जाता है .

छोटू बड़े जतन से खाता है और अपनी माँ से कहता है,"देखा माँ, नमक रोटी से कोई भीम नी होता, वो नेता जी के घर
में लड्डू खाते हैं तभी तो इतने बड़े हो गये हैं . अब तो मेरे वास्ते लड्डू लावेगी?"

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत जल्दी में किसी का एक शे'र याद आ गया पूजा जी...
    मेरा नहीं है...

    गरीबी देख के घर की, वो फरमाईश नहीं करते..
    नहीं तो उम्र बच्चों की, बड़ी शौक़ीन होती है..

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  2. जब किसी ने ये शे'र हमसे कहा था ..
    तब उस वक्त...इसी पर एक शे'र कहा था ..

    जिसे बचपन mein भूख और प्यास के सायों ने पाला हो
    जवानी वो मेरे हमदम, बड़ी संगीन होती है..

    गरीबी देख के घर की वो फरमाईश नहीं करते..
    नहीं तो उम्र..............बड़ी..शौक़ीन .....

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  3. ओह!

    और उस पर से मनु जी ने जो शेर सुनाया..क्या कहें!!

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  4. बढ़िया!

    नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
    सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥

    गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. !!महलों मैं रह कर कोई प्रभु मूरत खुद मैं देखे !!
    !! वो मीरा सी कोई दुजी हो नहीं सकती !!
    !! दोस्तो की जिंदगी को खुद से संजो के अपनी जिंदगी मैं देखे !!
    !! वो पूजा दीदी जैसी कोई दुजी हो नहीं सकती !! :D

    BE CHOICE LESS

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  6. इस साल की सुरवात हो ही गयी.. उम्मीद जाहिर किया है इस बार लास्ट इयर से जादा पोस्ट मिलेंगे हम सब को..

    खुदा सलामत रखे आप को..जन्मो जनम
    दुआ कवूल हो .. इरशाद ..!!

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  7. बहुत खूब मनु जी.
    बहुत मौके का शेर कहा है आपने. शुक्रिया.

    समीर लाल जी,
    आप यहाँ तक आये और टिपण्णी भी दी, यह मेरे लिये बड़े सौभाग्य की बात है. अपना आशीर्वाद बनाए रखियेगा.शुक्रिया.

    डॉ. शास्त्री जी,
    आपका कहा सत्य हो... अपने भारत को हमेशा महान ही देखना चाह है, गणतंत्र के साथ :). धन्यवाद.

    हाँ भाई गौरी, इस साल की शुरुआत हो ही गयी. थोड़ी देर से हुई पर कदम बढा ही दिया :) आप सभी का साथ रहा तो यह लेखनी के कदम और आगे बढ़ते ही रहेंगे. धन्यवाद.


    आप सब को भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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