1 August 2025
Pooja diary
मेरा तुलसी पौधा
मैंने तीन दिन पहले यानि 29 जुलाई को फ़ेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें लिखा था कि मेरे तुलसी पौधे पर कीड़े लग गए हैं और बचाव के उपाय सुझाएँ। बहुत सारे लोगों ने अपने अनुभव के आधार पर कई सुझाव दिए। सभी बहुत अच्छे उपाय थे लेकिन एक उपाय ने मेरे मर्म को गहरे तक छुआ। यह था पौधे की संक्रमित टहनी काट कर उस पर पलते हुए स्केलस कीट को भी पोषण लेने दिया जाए।
मैंने अगले दिन यही करने का निर्णय किया। विचार सघन था कि जैसे पौधे को जीने का अधिकार है वैसे ही कीट को भी है। क्या पौधे को बचाने के लिए मैं कीट का जीवन छीन सकती हूँ? अगला विचार यह था कि यदि ऐसा सोच कर कृषि की जाए तो कृषक शायद ही कुछ उपज पा सकें! तो क्या मैं एक पौधे पर कीट को पलने नहीं दे सकती? क्या मुझे किसी को मारने का अधिकार है, चाहे वह कोई कीट ही क्यों न हो? तेज द्वंद्व था मगर कीट को जीवन देने वाला विचार प्रबल था। अंततः अत्यंत भारी ह्रदय से मैंने संपूर्ण तुलसी पौधे को कीट के हवाले कर दिया। यह जानते हुए भी कि मेरे लिए इस भरे-पूरे तुलसी पौधे को खोना किसी अपने को खोने के समान है और यह दुख मेरे साथ जीवन भर रहेगा। (एक बार मैंने तुलसी पौधा लगाया था, जो बहुत अच्छा बढ़ रहा था। तब मेरे भारत दौरे के दौरान वो मुरझा गया और मैं आज तक उसे याद करती हूँ।)
एक अति प्रिय पौधे को कीट के हवाले करने का साहस करना कितना घातक है यह मैं ही जानती हूँ जबकि यहाँ पर दो बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पहली बात- स्पेन में तुलसी पौधा उगाने के लिए बहुत जतन करने पड़ते हैं। कारण यहाँ की लम्बी सर्दियाँ हैं। मैं कई बार यहाँ की जलवायु में अपने तुलसी पौधे लगा कर गँवा चुकी हूँ। इस बार बहुत परिश्रम से एक सुन्दर झाड़ी तैयार कर दी थी। उम्मीद थी कि अब यह लम्बा जीवन जीने लायक़ तैयार हो गई है। हरी भरी लहराती हुई तुलसी की झाड़ी बेहद आकर्षित बन गई थी। तेज धूप में गर्मियों के लंबे दिनों का फ़ायदा उठाते हुए तुलसी दिन पर दिन घनी हुई जा रही थी।
अचानक एक कीट (स्केलस) कहीं से इस पर आ गया। धीरे-धीरे उसने तुलसी पर पलना और परिवार बढ़ाना शुरू किया।
तब तक मैं घरेलू उपाय के तौर पर साबुन एवं मिर्ची के घोल से इसे भगाने का प्रयास कर चुकी थी। लेकिन यह प्रयोग असफल रहा। तब फ़ेसबुक पर पोस्ट लिख कर उपाय पूछे। उपाय आरम्भ कर दिया था। लेकिन यह तुलसी इतनी पोषक थी कि कीट को किसी तरह के उपाय से कुछ विशेष असर नहीं हुआ बल्कि उसकी बढ़ने की गति भी तीव्र हो गई।
दूसरी बात- इस बीच जिस उपाय के मर्म को छूने की बात कही, वह लगातार विचारों को मथ रहा था। पौधों में भी जीवन है और कीट में भी। किसे बचाऊँ? पौधा मेरे लिए उपयोगी है, कीट विनाशकारी है। फिर भी कीट के प्रकोप से मैं अपने पौधे को बचा नहीं पाऊँगी, यह एहसास होने लगा था। कहीं गहरे पैठ गया है एक विषाद! यह दुःख और पीड़ा पौधे के साथ जुड़े ममत्व के कारण है। मैं पौधों से बातें करती हूँ, सर्दी में धूप में रखकर उसे कठोर सर्दियाँ बिताने की हिम्मत देती हूँ, ज़रूरत होती है तो रैकी करती हूँ, बिल्कुल बच्चों की तरह देखभाल करती हूँ, तो जुड़ाव तो गहरा होना ही है।
पौधे के मुरझाते ही कीट किसी अन्य पौधे की तरफ चल देंगे, लेकिन मेरी तुलसी??
पहली बार ऐसा लगा कि मैं इसके बाद कभी तुलसी पौधा नहीं उगा पाऊँगी।
-पूजा अनिल
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