मनोरोग के साथ सामंजस्य
- पूजा अनिल
आजकल विश्व में बहुत सारे लोगों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित पीड़ा से गुजरना पड़ता है। जैसे कि डिप्रेशन यानि अवसाद। दुख की बात है कि हमारे आस-पास हर बार मानसिक रोगी बढ़ते जा रहे हैं। इनमें से कई बार रोगी को ठीक से पहचान कर सही इलाज मिल जाता है और बहुत बार नहीं भी मिल पाता है । जब समय पर सही इलाज न मिले तो रोगी के साथ पूरा परिवार एक अनिश्चित काल तक तकलीफ़ से दो चार होता रहता है। परिवार के दैनिक कार्य भी अत्यंत प्रभावित होते हैं।
मानसिक रोग की सही समय पर पहचान हो जाना एक महत्वपूर्ण कदम होता है। कभी कभार इसमें एक अच्छी बात यह होती है कि रोगी स्वयं अपने रोग से ग्रस्त होने को स्वीकार कर लेते हैं तब निदान की पहली सीढ़ी तो पार हो ही जाती है। डॉक्टर का काम भी आसान हो जाता है।
रोग और अपने विचारों का Confession कर लेने से रोगी का मन हल्का हो जाता है। मित्र और परिवार भी रोगी की बात सुन लेते हैं, समझ लेते हैं। किंतु तब अक्सर यह समझ नहीं आता कि उसे ऐसी क्या सलाह दें कि रोगी का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होने में मददगार साबित हो?
बहुत बार लोग रोगी को सीधे सलाह देते हैं कि स्वयं से प्रेम करो। या अपना ध्यान रखना आदि। किंतु एक रोगी किस तरह यह कर पाएगा यह कोई नहीं समझा पाता। डॉक्टर द्वारा दिये जाने वाले उपचार को फ़ॉलो करते हुए, परिवार में जो लोग रोगी का ध्यान रखते हैं, उनके लिए कुछ साधारण और सरल तरीक़े लिख रही हूँ जिनसे रोगी का मन कुछ समय तक एकाग्र रखने में सहायता मिल सकती है।
मेरे विचार से सृजनात्मक रचना कर्म मनोरोगी के लिए बेहद कारगर साबित होता है ।आप रोगी को कोई उत्साहजनक संगीत सुनने को प्रेरित करे, नृत्य करने को कहें, गीत गाने को कहें, कोई वाद्य यंत्र बजाने के लिए प्रेरित करें, चित्र बनाने को प्रेरित करें । उसके साथ मिलकर किसी मंडला में रंग भरने की प्रक्रिया शुरू कर दें। शहर में समंदर हो तो रोगी को वहाँ ले जाएँ, अपनी निगरानी में उसके साथ किनारे पर बैठे हुए लहरों को आते जाते निहारो। पहाड़ हो तो पहाड़ पर चढ़ें, या पार्क में टहलने ले जाएँ। इनमें से कोई एक कार्य भी यदि नित्य प्रति तय समय पर दोहराया जाए तो यह एक तरह से मेडिटेशन का काम करेगा, जिससे रोगी का मन धीरे-धीरे शांत होता चला जाएगा। इसके अलावा घर में ही कुछ स्वादिष्ट मनपसंद भोजन बना कर या उससे ही बनवा कर स्वाद लें। कोई अच्छी साहित्यिक किताब ले आयें और रोगी को पढ़ने के लिए कहें। उसे कोई कविता सुनाएँ या लिखने के लिए प्रेरित करें। आस-पास के बच्चों से बातें करने के लिए प्रेरित करें, उनके साथ खेलने को कहें, आप भी खुद उसके साथ रहें। उसे बाग़वानी करवाएँ या कढ़ाई बुनाई। समय और ऊर्जा की माँग करने वाले इन कार्यों से आपकी दिनचर्या में भी बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा, जिसे स्वीकार कर लेना आपके कार्य को सरल करेगा। यदा कदा परिवार एवं मित्रों से मदद माँगिए, ताकि आप स्वयं भी स्वस्थ रहें।
इनमें से जो कार्य रोगी को पसंद है, आप कुछ समय तक वही रचनात्मक कार्य दोहराते रहें। निश्चित ही कुछ समय बाद आपको रोगी के स्वास्थ्य में सुधार दिखाई देगा। हाँ, पूर्ण उपचार तो एक चिकित्सक की देख-रेख में ही मिलेगा। इसलिए आप लगातार अपने चिकित्सक के संपर्क में रहें और समय समय पर रोगी के बारे में उसे पूरी जानकारी देते रहें। याद रखें कि रोग शारीरिक हो अथवा मानसिक, रोग केवल रोग होता है, जिसका उचित उपचार करवाया जाना आवश्यक है। मैं यह मानती हूँ कि एक मनोरोगी का ध्यान रखना, यह अपने आप में एक चेलैंज से कम नहीं है। आपको अभूतपूर्व धैर्य की आवश्यकता होगी। अतः उसके लिए स्वयं को तैयार रखें ।
-पूजा अनिल
डिस्क्लेमर - मैंने ये बातें जीवन के अनुभव से कही हैं। न मैं डॉक्टर हूँ न ही मनोचिकित्सक, अत: योग्य डॉक्टर के इलाज के साथ-साथ ही इनका पालन करें।