मैं उस जीवन को चलते हुए
देख रही थी,
जो तत्पर था मुक्त होने को
मैं रोक लेना चाहती थी
मुक्ति पथ!
पर तभी मैंने पाया कि मैं
इस लायक भी नहीं कि
सांस ले पाऊँ स्वेच्छा से!
बस, तभी से त्याग दिया
इरादों का सफर
और चल पड़ी उधर
मिला जब जब जो जो पथ!
-पूजा अनिल
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