रविवार, 18 मार्च 2018

गाली देने वाली लड़कियाँ

कभी उनसे बात करना तो 
साथ रखना तहज़ीब और तमीज़ 
वर्ना गालियों की बौछार 
मिल सकती है उपहार।  
पीड़ा की 
असहनीय आग से 
गुज़र चुकी होती हैं  
जन्मों जन्मों से 
ज़ख्मों की 
टीस में पली होती हैं   
गाली देने वाली लड़कियाँ। 


उन्हें लगता है उनके सर पर 
मोर पंखों का ताज रखा है 
जिसकी ऊँची उड़ान से वे 
सैर कर आएँगी 
दुनिया भर के अजूबों की  
लेकिन वे कभी भूलती नहीं कि 
कांटें बिछे रहते हैं 
उनके क़दमों तले , 
इसीलिए 
अक्सर दोगली होती हैं 
गाली देने वाली लड़कियाँ। 
घिन्न आने लगती है 
करके उनसे वार्तालाप 
जैसे अचानक घेर लेता है 
कोई अबूझा संताप 
पीछा छुड़ा दूर जाने 
की  उठती है तमन्ना 
बगल में मचलती है खुजली 
चेहरे पर दमकता है पसीना 
तभी तो, 
लगती हैं बदबूदार और कुरूप  
गाली देने वाली लड़कियाँ। 

नहीं करतीं वे बे-बात कोई विवाद 
अक्सर हॅंस हॅंस करती हैं परिहास  
पुराने प्रेमी के वे बताती नहीं किस्से 
छुपा भी नहीं पातीं टूटे दिल के हिस्से 
जिससे चाहा था कहना 
मन की प्यारी बात 
वही निकला कायर 
छोड़ा बीच राह साथ 
कहा तो था..  
बड़े घाव दिल में रखती हैं समेटे
गाली देने वाली लड़कियाँ। 
-Poojanil

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-03-2017) को "ख़ार से दामन बचाना चाहिए" (चर्चा अंक-2915) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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