शनिवार, 6 सितंबर 2025

वह क्रिस्तीना है?


मैं शाम को वॉक करके घर लौट रही थी। रास्ते में कुछ बच्चे मिले, अपने पेरेंटस के साथ जाते हुए। उनके चेहरे रंगे हुए थे और आँखों पर मास्क लगा हुआ था। वे बेहद खुश थे, माँ को कोई घटना बताते हुए। उनकी माँ भी बतियाती जा रही थी। बस यह दृश्य देखकर मेरे चेहरे पर भी मुस्कान छा गई। मुझे मुस्कुराते देख माँ लोग भी मेरी तरफ मुस्कुरा दिए। बच्चे मुझे यूँ भी बहुत अच्छे लगते हैं। फिर स्पेनिश बच्चे तो एकदम गोरे गोरे रूई के समान गुलाबी गुलगुले लगते हैं। 


रोड क्रॉस करने लगी तो दूसरी तरफ़ तीन चार लोग अपने नन्हे मुन्नों के साथ खड़े थे। सब बच्चों के चेहरे डिज़ाइनर रंग बिरंगे रंगे हुए, हाथों में लॉलीपॉप और ढेर सारी खुशी की चमक! शायद वहीं पास के सेलिब्रेशन सेंटर में किसी ने अपने बच्चे का जन्मदिन मनाया होगा। और उस समय बच्चे सेंटर से बाहर निकल रहे थे। 


जैसे ही ज़ेब्रा क्रॉसिंग पार किया उनमें से एक सफेद फ्रॉक पहने हुए बच्ची ने मुझे देख कर तुरंत दौड़ लगाई और ज़ोर से चिल्लाई “क्रिसतीनाऽऽऽऽ!!!” और तत्क्षण आकर मुझसे लिपट गई। अत्यंत खुशी से झूमने लगी। 

मैं तो वैसे ही इतने प्यारे बच्चों को देखकर बड़ी प्रसन्नता से मुस्कुराते हुए जा रही थी। उसके इस अपनत्व भरे आलिंगन से जैसे हज़ारों वॉट की चमक आ गई मुझमें। 

मैंने उस बच्ची को प्यार से होला! कहा, पूछा कि वह कैसी है और मैं उसी मिठास से हँसते हुए आगे निकलने लगी। लेकिन वह बच्ची बेहद उत्साहित होकर अपने पैरेंट्स से दोहरा कर कहने लगी कि देखो क्रिस्तीना है! वे सब लोग मुझे देख रहे थे। मैंने हँस कर हाथ हिला कर उन्हें भी अभिवादन कर आगे बढ़ गई। 


मेरे पीछे वे तीनों बच्चे मुझे बार बार आवाज़ देकर बुलाते रहे- क्रिस्तीनाऽऽऽऽऽऽ!! “क्रिस्तीनाऽऽऽऽऽऽऽ!” इतनी प्यारी आवाज़ें सुनकर सड़क के दूसरे छोर से मुझे उन्हें मुड़ कर देखे बिना आगे बढ़ा ही नहीं गया। मैं ठिठकी, दूर से ही हाथ हिलाकर उन्हें बाय किया। उन्होंने भी मुझे हाथ हिलाकर बाय किया और फिर मैं अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी। उनके पैरेंट्स अभी भी मुझे जाते हुए देख रहे थे। 


शायद उनकी किसी अतिप्रिय अध्यापिका का नाम क्रिस्तीना होगा, जो कि बच्चों की मनपसंद टीचर होगी! अनजाने ही उसके हिस्से का प्यार मुझे मिल गया। बच्चे ऐसी ऊर्जा का स्रोत होते हैं कि जो निष्प्राण में भी तत्काल प्राण फूंक देते हैं, बस उसी ऊर्जा के आलिंगन के बाद से मन अधिक खिला खिला सा है। शिक्षक दिवस पर इस तरह उपहार स्वरूप बच्चों का साथ मिलना सबसे बड़ा उपहार हो गया।  

-पूजा अनिल