सोमवार, 4 अगस्त 2025

तुलसी पौधे का बचाव

  यह देखकर अच्छा लगता है कि दोस्त आपके जीवन की समस्याओं में शामिल हो कर न केवल अपनी चिंता प्रकट करते हैं बल्कि अच्छी सलाह भी देते हैं। 

बीते दिनों तुलसी के पौधे के संक्रमित होने के बारे में  फ़ेसबुक पर लिखा तो जो भी साथी उसके बारे में कमेंट करने आए, वे पौधे को काटने की बजाय उसे बचाने की सलाह दे रहे थे। उन साथियों की यह चिंता गौर करने लायक़ है। इसलिए पौधे को काटने से पहले मैंने नेट पर उसके बारे में जानकारी हासिल की। 

मेरे तुलसी पौधे पर स्केल्स का संक्रमण हुआ था और जितने घरेलू नॉन टॉक्सिक प्रयोग किए जा रहे थे वे बिल्कुल काम नहीं आ रहे थे। मुझे हैरानी थी कि ऐसा क्यों हो रहा था!! तो इसका उत्तर नेट सर्च में मिला। 

तुलसी पर लगभग आठ प्रकार के संक्रमण होते हैं। जिनमें से एक है स्केल्स का संक्रमण। ये २-३ मिमी के परजीवी हैं। तुलसी पौधे की हरी टहनियों  एवं पतियों पर चिपक जाते हैं और उसका रस चूसते हैं। इस तरह पौधे की पत्तियाँ सूख कर पीली पड़ जाती हैं और पौधे का बढ़ना रूक जाता है। साथ ही ये परजीवी एक तरह का चिपचिपा द्रव्य उत्पन्न करते हैं जो कि चींटियों को आकर्षित करता है। चींटियों को आकर्षित करने का सबसे बड़ा कारण है कि ये स्केल्स के लिए वाहन का काम करती हैं। इससे स्केल्स अन्य पौधों तक पहुँच सकते हैं। इस चिपचिपे द्रव्य के कारण मिट्टी में फंगस भी उत्पन्न हो जाती है। और ये सब मिलकर पौधे का समूल नाश कर सकते हैं। 

एक बहुत बड़ा प्रश्न मेरे सामने यह था कि मेरे घर में ये स्केल्स आए कहाँ से? यहाँ चींटियों का नामोनिशान तक नहीं है। तो नेट पर मिली जानकारी के अनुसार ये हवा में उड़ते हुए डस्ट द्वारा भी पौधे तक पहुँच जाएँ तो पौधे को संक्रमित कर सकते हैं। मेरे केस में भी यही हुआ प्रतीत होता है। इन दिनों गर्मी के मौसम में खिड़की खुली रहती है और सूखी धूल भरी हवाएं चलती रहती हैं। अत: यह कारण काफ़ी हद तक सही लग रहा है।  

अब यह जानना ज़रूरी है कि स्केल्स पर किसी घरेलू दवा का असर क्यों नहीं होता है। दरअसल जैसा कि इन परजीवियों का नाम ही स्केल्स है यानी शल्क, तो यह नाम इनकी संरचना की वजह से दिया गया है। बाहर से इनके ऊपर एक ऐसा कार्टिलेज कवच बना हुआ है जो कि कीटनाशक से इनकी रक्षा करता है और ये आसानी से खत्म नहीं किए जा सकते हैं। क्योंकि बाहर से नहीं ख़त्म किए जा सकते इसलिए हमारे सभी उपाय असफल हो गए। लेकिन केमिकल कीटनाशक के प्रयोग से इन्हें नष्ट किया जा सकता है। तुलसी एवं इसके परिवार के अन्य पौधों की पत्तियों को खाने के लिए काम में लाया जाता है, इसलिए रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। 

और एक अन्य उपाय यह कर सकते हैं कि जैसे ही परजीवी की उपस्थिति का ज्ञान हो, वैसे ही शुरुआत में ही रूई को अल्कोहल में डुबोकर किसी लकड़ी की डंडी पर बांध कर उस से टहनी पर चिपके स्केल्स को हटाने की कोशिश की जाए। मेरे पौधे पर यह संक्रमण अत्यधिक फैल गया था इसलिए यह उपाय काम का नहीं था। ऐसी परिस्थिति में पौधे की संक्रमित टहनियों को काट देना उचित था। इसलिए जब मैंने पूरा पौधा परजीवी के हवाले कर देने की बात कही तो मित्रों को यह बात पसंद नहीं आई। 

मैं भी चाहती थी कि पौधे को कुछ नुक़सान ना हो। लेकिन इतना संक्रमित पौधा देखकर उसके बचाव की संभावना नगण्य थी। मगर अब मैंने एक चांस लिया है और पौधे की जड़ के पास वाले तने को छोड़कर बाकी पूरा पौधा काट कर स्केल्स के हवाले कर दिया। इस हिस्से पर स्केल्स नहीं दिख रहे तो मैंने सोचा कि देखते हैं…, क्या पौधे को नया जीवन मिल सकता है!! तने के इस  हिस्से पर रूई को अल्कोहल से भिगोकर घुमा दिया। गमले पर भी रूई को फिराया। मिट्टी को हिलाकर ऑक्सीजनेटेड किया। घरेलू दवा का छिड़काव कर दिया। अब जो होगा, देखा जाएगा! 

एक संभावना है कि मिट्टी में भी स्केल्स की उपस्थिति हो सकती है। यदि ऐसा होता है  और पौधे पर पुनः संक्रमण होता है तो पूरे गमले सहित पौधे को विदा करना पड़ेगा।  

काश! नई उगने वाली साफ़ सुथरी कोमल तुलसी की टहनियाँ संक्रमण से मुक्त रहें! 

-पूजा अनिल 

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

मेरा तुलसी पौधा

1 August 2025 

Pooja diary 

मेरा तुलसी पौधा 

मैंने तीन दिन पहले यानि 29 जुलाई को फ़ेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें लिखा था कि मेरे तुलसी पौधे पर कीड़े लग गए हैं और बचाव के उपाय सुझाएँ। बहुत सारे लोगों ने अपने अनुभव के आधार पर कई सुझाव दिए। सभी बहुत अच्छे उपाय थे लेकिन एक उपाय ने मेरे मर्म को गहरे तक छुआ। यह था पौधे की संक्रमित टहनी काट कर उस पर पलते हुए स्केलस कीट को भी पोषण लेने दिया जाए। 

मैंने अगले दिन यही करने का निर्णय किया। विचार सघन था कि जैसे पौधे को जीने का अधिकार है वैसे ही कीट को भी है। क्या पौधे को बचाने के लिए मैं कीट का जीवन छीन सकती हूँ? अगला विचार यह था कि यदि ऐसा सोच कर कृषि की जाए तो कृषक शायद ही कुछ उपज पा सकें! तो क्या मैं एक पौधे पर कीट को पलने नहीं दे सकती? क्या मुझे किसी को मारने का अधिकार है, चाहे वह कोई कीट ही क्यों न हो? तेज द्वंद्व था मगर कीट को जीवन देने वाला विचार प्रबल था। अंततः अत्यंत भारी ह्रदय से मैंने संपूर्ण तुलसी पौधे को कीट के हवाले कर दिया। यह जानते हुए भी कि मेरे लिए इस भरे-पूरे तुलसी पौधे को खोना किसी अपने को खोने के समान है और यह दुख मेरे साथ जीवन भर रहेगा। (एक बार मैंने तुलसी पौधा लगाया था, जो बहुत अच्छा बढ़ रहा था। तब मेरे भारत दौरे के दौरान वो मुरझा गया और मैं आज तक उसे याद करती हूँ।)


एक अति प्रिय पौधे को कीट के हवाले करने का साहस करना कितना घातक है यह मैं ही जानती हूँ जबकि यहाँ पर दो बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। 

पहली बात- स्पेन में तुलसी पौधा उगाने के लिए बहुत जतन करने पड़ते हैं। कारण यहाँ की लम्बी सर्दियाँ हैं। मैं कई बार यहाँ की जलवायु में अपने तुलसी पौधे लगा कर गँवा चुकी हूँ। इस बार बहुत परिश्रम से एक सुन्दर झाड़ी तैयार कर दी थी। उम्मीद थी कि अब यह लम्बा जीवन जीने लायक़ तैयार हो गई है। हरी भरी लहराती हुई तुलसी की झाड़ी बेहद आकर्षित बन गई थी।  तेज धूप में गर्मियों के लंबे दिनों का फ़ायदा उठाते हुए तुलसी दिन पर दिन घनी हुई जा रही थी। 

अचानक एक कीट (स्केलस) कहीं से इस पर आ गया। धीरे-धीरे उसने तुलसी पर पलना और परिवार बढ़ाना शुरू किया। 

तब तक मैं घरेलू उपाय के तौर पर साबुन एवं मिर्ची के घोल से इसे भगाने का प्रयास कर चुकी थी। लेकिन यह प्रयोग असफल रहा। तब फ़ेसबुक पर पोस्ट लिख कर उपाय पूछे। उपाय आरम्भ कर दिया था। लेकिन यह तुलसी इतनी पोषक थी कि कीट को किसी तरह के उपाय से कुछ विशेष असर नहीं हुआ बल्कि उसकी बढ़ने की गति भी तीव्र हो गई। 

दूसरी बात- इस बीच जिस उपाय के मर्म को छूने की बात कही, वह लगातार विचारों को मथ रहा था। पौधों में भी जीवन है और कीट में भी। किसे बचाऊँ? पौधा मेरे लिए उपयोगी है, कीट विनाशकारी है। फिर भी कीट के प्रकोप से मैं अपने पौधे को बचा नहीं पाऊँगी, यह एहसास होने लगा था। कहीं गहरे पैठ गया है एक विषाद! यह दुःख और पीड़ा पौधे के साथ जुड़े ममत्व के कारण है। मैं पौधों से बातें करती हूँ, सर्दी में धूप में रखकर उसे कठोर सर्दियाँ बिताने की हिम्मत देती हूँ, ज़रूरत होती है तो रैकी करती हूँ, बिल्कुल बच्चों की तरह देखभाल करती हूँ, तो जुड़ाव तो गहरा होना ही है।   

पौधे के मुरझाते ही कीट किसी अन्य पौधे की तरफ चल देंगे, लेकिन मेरी तुलसी?? 

पहली बार ऐसा लगा कि मैं इसके बाद कभी तुलसी पौधा नहीं उगा पाऊँगी। 

-पूजा अनिल