मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

सापेक्षता विचार

 जब सेब न्यूटन के सिर पर गिरा तब न्यूटन का सिर भी सेब से टकराया। चोट दोनों को ही लगी। सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार यह भी कह सकते हैं कि न्यूटन का सिर सेब के रास्ते में रूकावट की तरह आ गया और इस कारण सेब को चोट लगी अथवा यह कह लें कि सेब ने पेड़ से टपकने की सोची तो न्यूटन को सिर पर चोट लगी। इस तरह देखा जाए तो दोनों ने ही टक्कर का अनुभव किया। 

मज़े की बात यह है कि दोनों ही दोषी नहीं होते हुए भी एक दूसरे की चोट के कारक बन गए। दोनों ही दोषी हो गए। एक-दूसरे को अनजाने में ही सही किंतु चोट पहुँचाई है।सेब का तो पता नहीं लेकिन न्यूटन ने इस चोट से गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान हासिल किया।  अब तक जो सेब दोषी प्रतीत हो रहा था, वही एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक नियम के प्रकट होने का कारण बन गया। 


ऐसा ही जीवन में भी कभी-कभी हो जाता है कि कोई  व्यक्ति अकारण ही किसी के प्रति दोषी प्रतीत हो सकता है। लेकिन आवश्यक नहीं कि वही पूर्णरूपेण दोषी हो! परिस्थितिवश यदि किसी ने कुछ गलत कार्य किया हो तो उस समय किसी पर दोषारोपण करने की बजाय संयम रख सकते हैं।  यह बिल्कुल आवश्यक नहीं कि जो दिख रहा हो केवल वही सत्य हो! जो सुनाई दे रहा हो, वह सत्य हो, इसमें भी संदेह हो सकता है । यह मान कर चलिए कि सत्य की भी कई परतें होती हैं,  अत: धैर्य पूर्वक हर परत को खोलते चलिए, तब ही पूर्ण सत्य तक पहुँच पाएँगे। बहुत संभव है कि पूरे प्रकरण में कोई भी दोषी न मिले!  इसलिए समय दीजिए कि सत्य प्रकट हो सके।  अपनी राय को धारणा मत बनने दीजिए। राय बदलना आसान है धारणा नहीं।  

(अचानक अकारण उपजा एक विचार 💡) 

पूजा अनिल