आजकल मेरे फ़ोन में मौसम एप्प में एक फ़ीचर पर रोज़ ध्यान जा रहा है। वो है, तापमान के एवरेज रेंज से तुलना करके यह बताना कि औसत तापमान से कितना अधिक तापमान चल रहा है। जैसे इस तस्वीर में दिखा रहा है कि मद्रिद में औसत से 10 डिग्री अधिक तापमान चल रहा है।
गुरुवार, 30 मई 2024
धरती पर हमारी ज़िम्मेदारी
आजकल मेरे फ़ोन में मौसम एप्प में एक फ़ीचर पर रोज़ ध्यान जा रहा है। वो है, तापमान के एवरेज रेंज से तुलना करके यह बताना कि औसत तापमान से कितना अधिक तापमान चल रहा है। जैसे इस तस्वीर में दिखा रहा है कि मद्रिद में औसत से 10 डिग्री अधिक तापमान चल रहा है।
गुरुवार, 9 मई 2024
बच्चों को अपनी भाषा सिखाएँ
हम भारत से बाहर रहने वालों के लिए अपनी भाषा सिखाना चुनौती भरा कार्य होता है। यहाँ की भाषा तो वे स्कूल में सीख जाते हैं। लेकिन अन्य भाषाओं के लिए अभी तक कम ही स्कोप है। वैसे स्पेन में अंग्रेज़ी अब पाँव पाँव चलना सीख चुकी है लेकिन जब मेरे बच्चों ने जन्म लिया तब तक यहाँ की सड़कों पर (अंग्रेजों को छोड़कर) अंग्रेज़ी कहीं सुनाई नहीं देती थी।
और यहाँ छोटे से परिवार में अपनी भाषा सिखाने के लिए अधिकतर परिवारों में माँ पापा ही होते हैं। ऐसा ही हमारे साथ भी था। ऐसे में हमने बच्चों को पैदाइश से ही सिखाने के लिए अथवा कहिए कि बहुभाषी बनाने के लिए तय किया कि मैं अंग्रेज़ी में बात करूँगी और बच्चों के पापा सिंधी भाषा में। स्पेनिश लोग आस-पास थे ही, स्पेनिश में बात करने के लिए।
सिंधी भाषा में हिंदी से भी अधिक वर्ण होते हैं। मर्मस्थल सम्मत वर्णों का उच्चारण अत्यधिक उन्नत है। इससे दोनों बच्चों की ज़बान शुरू से ही साफ़ हो गई। बाद में (जन्म से ही ) टी वी पर भारतीय चैनल सुनते देखते और हिंदी गीत सुनकर हिंदी सीख गए और स्कूल शुरू करने पर स्पेनिश सीख ली, बाद में फ़्रेंच सीख गए। अब डच सीख रहे हैं।
यह जो बच्चों का एक साथ चार भाषाएँ सीखने का क्रम था, इससे मैंने एक बात सीखी कि बच्चों को किसी भी भाषा में अनुवाद करके किसी से वार्तालाप नहीं करना पड़ता था बल्कि वे उसी भाषा में सोचने में सक्षम हैं जिस भाषा में बात हो रही है।
अत: मैं प्रत्येक माता-पिता, अभिभावक से कहूँगी कि बच्चों को आप वे सभी भाषाएँ सिखाएँ जो आप और आपके परिवार में बोली जाती हैं। अपने और कई अन्य परिवारों के अनुभव से कहती हूँ कि इस प्रक्रिया में बच्चों पर बिलकुल मानसिक दबाव नहीं पड़ता है, बल्कि वे बड़ी प्रसन्नता से एक साथ कई भाषाएँ सीख जाते हैं। और बड़े होने पर आपको धन्यवाद कहेंगे कि आपने न केवल उन्हें भाषाई ज्ञान से समृद्ध किया है बल्कि दुनिया में आगे बढ़ने के लिए भी द्वार खोल दिए हैं।