बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

लेन देन

कोई सुबह धूम धूम 
दस्तक देता है
और शाम ढले 
छोड़ जाता है सूनापन
जैसे बरसाती नदी 
झूम कर उमड़ पड़ती है
अचानक 
और सूख जाती है 
अचानक

कितना रुलाता है 
बातों का सूख जाना
कितना उदास है 
प्रतीक्षा का टूट जाना
और 
जाने कितनी निराशा लपेटे है
प्रेम का लेन देन 

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