2022 में एक हिंदी फिल्म आई थी “शेरदिल- द पीलीभीत सागा”।
2022 में एक हिंदी फिल्म आई थी “शेरदिल- द पीलीभीत सागा”।
किसी डाल पर सपने बैठे, किसी डाल पर सच्चाई,
आँख खुली तो उड़ गए सपने, बची रह गई सच्चाई!
साँसों की माला अद्भुत है, जो देती नहीं दिखाई,
हर क्षण धारण करके फिरती जीव आत्मा साईं।
दर दर भटकते मांगे भिक्षा, कुछ पैसा दे दो भाई,
ईमानदारी से करें परिश्रम, पाएँ मेहनत की कमाई।
चीं चीं चूँ चूँ कर झूठे वादे, जनता गई भरमाई,
भ्रष्ट नेता और भ्रष्ट अधिकारी सबने इज़्ज़त गँवाई।
धूप की तेज़ी, हवा की सरसर, तन को छूती माई,
तेरे आँचल का स्नेह ओढ़ मेरे मन ने छैंया पाई।
जिसकी जिव्हा पे “हरि नाम” पावन धुन है समाई,
मीठे उसके वचन जैसे हो माखन मिसरी खाई।
-पूजा अनिल
ये जिंदगी का फ़लसफ़ा बड़ी अजीब शय है बाबू मोशाय!
जीने की बात पर मरना याद आता है,
ठहाकों के बीच रोना याद आता है,
जमीन पर चलते हुए आसमान याद आता है,
खुद को भूलो तो खुदा याद आता है,
गुनगुनाओ तो दिल का हाल जुबां पर खिसक आता है,
कॉफी पीते हुए वो अपना सा दोस्त याद आता है ,
किताब पढ़ते हुए लिखने वाले का अक्स दिख जाता है,
फूलों के साथ बैठो तो सुकून ओ क़रार आ जाता है,
चिट्ठी लिखने से पहले पाने वाले का न भूलने वाला चेहरा याद आता है,
दिल खोलकर रख दो तो कोई दिलफरेब याद आता है,
मोहब्बत की बात करो तो केवल ग़म याद आता है,
हम कब के गुज़र गए होते अगर जिंदगी के ये हसीन ओ अजीब एहसास न होते!
- पूजा अनिल