बुधवार, 21 मई 2025

गगन पर चित्र



 मेरे शहर का कैनवास बड़ा सुंदर है, 

आसमान साफ़ नीला है, 

हवा मद्धम बहती है, 

बस इसीलिए 

यहाँ बादलों की आवाजाही लगी रहती है, 

ये रूई के नर्म फाहे से बादल, 

इस कैनवास पर चित्रों सरीखे दृश्य रचते हैं, 

मैं देखती हूँ, मुग्ध होती हूँ, 

कि कैसे ये सजीले, अनोखे रंग रखते हैं! 

पवन के नाज़ुक मुलायम पंख पर 

मुस्कान की ठंडी छाँव रखते हैं! 

हैरत से भरपूर मैं इन दिनों मोबाइल कैमरा निकालती हूँ, 

और फिर इस चित्रकारी के चित्र कैद करती हूँ। 

मैं खोई हुई हूँ गगन की सुघड़ चित्रकला में, 

मुझे खोजो, खुशी की लहर की तरह! 

मैं जादू हूँ बादलों का, 

मुझे तलाशो बादल में पानी की तरह! 

-पूजानिल

3 टिप्‍पणियां: